पृथ्वी का पर्यायवाची शब्द

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पृथ्वी का पर्यायवाची शब्द

 

पृथ्वी का पर्यायवाची शब्द

 

  • भू
  • भूमि
  • अचला
  • धरा
  • धरती
  • धरित्री
  • धरणी
  • क्षोणी
  • क्षिति
  • जगती
  • उर्वी
  • मेदिनी
  • मही
  • धाप्ती
  • वसुमति
  • बीजप्रसु
  • अवनि
  • ईला
  • वसुधा
  • वसुन्धरा
  • प्रहुभि
  • जमीन
  • रत्नगर्भा।

पृथ्वी का पर्यायवाची शब्द अंग्रेजी में

  • Earth
  • Dust
  • Globe
  • Planet
  • Cosmos

 

पृथ्वी के पर्यायवाची शब्द (Synonyms of Earth in Hindi) और उनके अर्थ में थोड़ा अंतर हो सकता है। इसीलिए एक वाक्य में सभी पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग हो जाए, यह जरूरी नहीं है। स्थिति के आधार पर वाक्य में अलग अलग पर्यायवाची का प्रयोग अलग अलग स्थान पर किया जा सकता है।

नीचे हम उदाहरण के माध्यम से इसे और अधिक गहराई से जानने का प्रयास करेंगे।

पृथ्वी शब्द के वाक्य प्रयोग द्वारा पर्यायवाची शब्दों के अंतर को समझना

पृथ्वी – पृथ्वी के हर कण में भगवान का वास होता है।
भूमि – भारत की इस भूमि पर महाराणा प्रताप जैसे देशभक्तों का जन्म हुआ है।
धरती – हिन्दू धर्म में धरती को माता का स्थान प्राप्त है।

 

पृथ्वी का अर्थ हिंदी में

 

हिंदी भाषा कें अंदर पृथ्वी शब्द का अर्थ सौरमण्डल का एक ग्रह है से होता है जिस पर आज तरह तरह के जीव रहते है । जिनमें से मनुष्य भी एक है । यानि वह ग्रह जीस पर हम लोग रहते है वह पृथ्वी है । पृथ्वी और इसके जैसे बाकी ग्रहो की व्याख्या दूरी के आधार पर की जाती है और इस तरह से यह तीसरा ग्रह ‌‌‌है । एक शब्द में कहे तो पृथ्वी शब्द के अर्थ है –

 

  • सौरमण्डल का एक ग्रह जो सूर्य से तीन नम्बर पर है ।
  • आज मनुष्य जीस पर अपना जीवन चला रहा है वह ग्रह ।
  • पृथ्वी का अर्थ एक विशाल धरा से भी है ।
  • हिंदू धर्म के अनुसर जो शेषनाग के फन पर टिकी हुई है वह पृथ्वी ।
  • वसुन्धरा।
  • पृथिवी।
  • भू ‌‌‌और।
  • भुइँ।

 

‌‌‌पृथ्वी से जुडे रोचक तथ्य

  • पृथ्वी सौर मंडल का एक ग्रह है जो की सूर्य से दूरी के आधार पर तीन नम्बर पर है ।
  • क्या आपको पता है की पृथ्वी का 71% भाग जल से तथा 29% भाग भूमि से ढका हुआ है।
  • क्या आपको पता है की पृथ्वी की उत्पत्ति 4.54 अरब पहले हो चुकी थी और इस उत्पत्ति के बाद में कई वर्षो तक इस पर धूल व मिट्टी ही ‌‌‌मंडराती रही थी ।
  • क्या आपको पता है की पृथ्वी पर इतना 71 प्रतिशत पानी है और ‌‌‌इसी पानी मे से महासागरो मे सबसे पहले जीवो की उत्पत्ति हुई थी ।
  • पृथ्वी ‌‌‌के वायुमंडल मे विभिन्न प्रकार की गैसे रहती है मगर आपको क्या पता है की इन गैसो में से सबसे अधिक मात्रा नाइट्रोजन और ऑक्सीजन की है ।
  • सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों का प्रभाव पृथ्वी पर पडने के कारण से पृथ्वी का बडा नुकसान हो जाता है और इसी समस्या से निपटने के लिए पृथ्वी के वायुमंडल मे एक परत रहती है जिसे ओजोन परत के नाम से जाना जाता है । यह परत सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों के प्रभाव को नष्ट करने का काम करती ‌‌‌है ।
  • अक्सर आप लोगो ने रात को तारे टूटते हुए देखे होगे मगर असल मे वे तारे नही होते बल्की उल्कापिण्ड होते है जो तेजी से पृथ्वी की तरफ आते रहते है और देखने के कारण से तारे जैसे ही लगते है । हालाकी इन उल्कापिण्ड को पृथ्वी में प्रवेश तक नही मिलता है क्योकी यह पृथ्वी के वायुमंडल मे प्रवेश करते ‌‌‌ही नष्ट हो जाते है जिसके कारण से देखने पर ऐसा लगता है की तारे गायब हो गए है ।
  • सूर्य पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ किलोमीट दूरी पर होने के कारण से अपना अधिक प्रभाव नही दिखा पता है वरना अगर सूर्य के पास पृथ्वी होती है तो पृथ्वी जलने लग जाती है ।
  • ‌‌‌पृथ्वी कई तरह की परतो में विभाजित है जिनमें से पृथ्वी की उपरी परत पत्थरों और मृदा की बनी होने के कारण से अधिक कठोर व मजबूत होती है ।
  • ‌‌‌सूर्य अपने निश्चित स्थान पर रहता है मगर पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई सूर्य के चारो और चक्कर लगाने का काम करती है और पृथ्वी का एक चक्कर 365 दिन 6 घंटो मे पूरा होता है ।
  • क्या आपको पता है की पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती रहती है जिसके कारण से ही दिन और रात होती रहती है क्योकी पृथ्वी अपने ‌‌‌अक्ष पर 24 घंटो में एक चक्कर पूरा कर लेती है जिससे पृथ्वी का अलग अलग भाग सूर्य की तरफ आता रहता है और दिन रात होते रहते है ।
  • ‌‌‌क्या अपको पता है की पृथ्वी का  प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा को बताया जाता है ।
  • क्या आपको पता है की पृथ्वी का कूल आयतन 1.08321×1012 घन किमी होता है ।
  • क्या आपको पता है की पृथ्वी का द्रव्यमान लगभग 5.97219×1024 किग्रा है ।
  • क्या आपको पता है की पृथ्वी का यह नाम महाराज पृथु के नाम पर रखा गया है
  • ‌‌‌आपने यह सुना होगा की पृथ्वी गोल है मगर असल मे पृथ्वी का आकार गोल नही होता बल्की इसका आकार अण्डाकार होता है ।

 

‌‌‌पृथ्वी क्या है

 

सौरमण्डल के ग्रहो मे से पृथ्वी भी एक है और इसे सूर्य की दूरी के आधार पर देखा जाता है । और बताया जाता है की यह तीन नम्बर का ग्रह है । इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है की एक ऐसा ग्रह जीस पर कुल 29 प्रतिशत भाग ही भूमी का है और बाकी पानी का बना हुआ है । यानि पृथ्वी पर 71 प्रतिशत पानी रहता है।‌‌‌

पृथ्वी की भूमी के अलग अलग भाग होते है जो की अलग अलग तरीके से बने हुए है ।‌‌‌यानि पृथ्वी के उपर का भाग ज्यादा कठोर नही होता है इस ‌‌‌पर मिट्टी भी बहुत महिन रहती है । इस भूमी में खेती की जाती है । इसके बाद में पृथ्वी के बिच का भाग होता है जिसमे पानी रहता है और इसमे धूल के कण तेरते रहते है ।

इसके बाद मे अंतिम जो परत होती है यह अधिक कठोर होती है । क्योकी इस परत में ‌‌‌चटानो के छोटे छोटे टूकडे रहते है ।‌‌‌ इस तरह से पृथ्वी एक प्रकार का ग्रह होता है साथ ही इसमें मानव का जीवन भी रहता है । संक्षिप्त मे कहे तो पृथ्वी एक ऐसा स्थाना है जहां पर मानव अभी रह रहा है ।

 

‌‌‌पृथ्वी का जन्म कैसे हुआ

 

पृथ्वी का जन्म कैसे हुआ यह एक महत्वपूर्ण प्रशन है और इसका उत्तर देना बहुत ही कठिन होता है । मगर फिर भी विभिन्न तरह के सिद्धांतो के आधार पर पृथ्वी के जन्म के बारे मे बताया गया है । हालाकी अलग अलग सिद्धात कुछ अलग ही बात ‌‌‌करते है । मगर इसमे कोमन यह है की पृथ्वी जलती थी और काफी समय बित ‌‌‌जाने के बाद में ठंडी हुई थी ।

इस परिकल्पना के आधार पर बताया जाता है की पृथ्वी का जन्म सौरमंडल के बाद में हुआ है और पृथ्वी के निर्माण से पहले विभिन्नत प्रकार की गैसे मोजूद थी । जिनमे से ही एक हाइड्रोजन गैस थी और इस गैस के बादल बने रहते थे । इसके साथ ही धूल के कण भी इसमें काफी मात्रा मे मोजूद रहते ‌‌‌थे ।

इसके बाद मे समय के साथ गुरुत्वाकर्षण बल का जन्म हुआ । मगर उस समय यह देखने को मिला था की गुरुत्वाकर्षण बल सभी स्थानो पर एक समान नही है यानि अलग अलग स्थानो पर गुरुत्वाकर्षण बल भी अलग अलग रूप मे मोजूद है ।

इस तरह से गुरुत्वाकर्षण बल का अलग अलग जगहो पर अलग अलग रूप मे होने के कारण से जो धूल ‌‌‌और गैसे के बादल थे उनके साथ विभिन्न प्रकार की चटानो को आपस मे जुडना शुरू हुआ होगा । यानि गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण से आपस मे जुडे होगे । और इसी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण से बडी बडी चटाने अलग अलग स्थानो पर एकत्रित हो गई ।

इसके बाद में ये चटनो आपस मे गुरुत्वाकर्षण बल के ‌‌‌कारण से नजदिक आई होगी । इस तरह से नजदिक आने के कारण से चटानो के मध्य बडी उर्जा का विकाश हुआ जिसके कारण से चटाने तपने लगी थी । और इसके साथ ही ये चटाने सूर्य के समान तेज गर्म हो गई होगी । ‌‌‌अब इन चटानो को ठंडी होने में भी काफी समय लगा था ।

जब पृथ्वी पूरी तरह से ठंडी हुई थी तब भी चारो और धूल के कण उडते रहते थे और अंधेरा ही अंधेरा था । इसी के बिच मे आकाश गंगा मे विभिन्न तरह के ग्रहो का निर्माण हो गया होगा ।

‌‌‌इस तरह से सौर नेबुला परिकल्पना के अनुसार स्वयं ही पृथ्वी का निर्माण हुआ था ।

 

Final Word

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