रात का पर्यायवाची शब्द

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रात का पर्यायवाची शब्द

 

रात का पर्यायवाची शब्द

 

 

रात का हिंदी में अर्थ

  • थ्वी पर जीवन यापन के लिए सूर्य की रोशनी ‌‌‌को भी एक अहम कारण माना जाता है । और जब सूर्योदय होता है तो उसे दिन कहा जाता है । और जब सूर्यास्त हो जाता है तो पृथ्वी पर अंधेरा छाने लगता है । और कुछ ही पल में बहुत अधिक अंधेरा छा जाता है । यह जब तक सूर्योदय नही हो जाता तब तक रहता है । इस समय को ही रात ‌‌‌के नाम से जानते है । यानि रात का अर्थ –
  • घोर अंधकार वाला समय ।
  • सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय तक का समय ।
  • तारो का दिखाई देने वाला समय ।
  • चंद्रमा का प्रकाश दिखाई देने वाला समय ।

रात शब्द का वाक्य प्रयोग

 

  • अंधेरी रात को देखते ही चोर रामलाल के घर मे घुस कर करोडो का धन चोरी कर ले गया ।
  • कल बहुत ही अंधेरी रात थी और उसमें मैने बिल्ली की आंखे देखी तो वह चमक रही थी यह देख कर एक बार तो मैं डर सा गया था ।
  • सुरेखा ने कहा की जब से हम इस घर मे आए है तब से रात को तरह तरह की आवाजे ‌‌‌सुनाई देती है ।
  • चिकुडदास के गाव में रात का फायदा उठा कर डाकूओ ने बहुत से घरो को लूट लिया ।

रात के पर्यायवाची शब्दो का वाक्य में प्रयोग

 

  • किसन दिन भर काम करता है और फिर वह संध्या को आराम करे की नही ।
  • विधार्थी को शाम को जल्दी सोना चाहिए और सुबह जल्दी उठ कर पढाई करनी चाहिए ।
  • ‌‌‌महेश इतना डरपोक है की जब भी रात्रि होती है वह अपने घर मे भीगी बिल्ली की तरह छिप जाता है।
  • ‌‌‌कल अंधेरा {रात} की बात है मुगडराम को दिल्ल का दोरा पडने के कारण से उसे रातो रात हॉस्पिटल पहुचाया गया तब उनकी जान बच सकी ।

रात का पर्यायवाची शब्द

  • रात्रि
  • निशा
  • निशीथ
  • रैन
  • यामिनी
  • विभा
  • विभावरी
  • शर्वरी
  • त्रियामा
  • रजनी
  • तमी
  • तमिस्रा
  • क्षपा
  • क्षणदा
  • दोषा
  • निशि।

रात शब्द के कई अलग-अलग अर्थ हैं और इसे कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका उपयोग दिन के समय, हमारे चारों ओर के अंधेरे, या यहां तक कि हमारे मूड का वर्णन करने के लिए किया जा सकता है।

कुछ लोगों के लिए रात भय और आशंका का समय होता है। अंधेरा भयावह और पूर्वाभास हो सकता है। यह एक ऐसा समय है जब चीजें जीवंत होने लगती हैं और हम हमले की चपेट में आ जाते हैं।

अन्य लोग रात को रहस्य और साज़िश के समय के रूप में देखते हैं। यह एक समय है जब दुनिया सो रही है और हम बिना देखे घूमने के लिए स्वतंत्र हैं। हम अपनी कल्पनाओं को जंगली चलने दे सकते हैं और उन सभी संभावनाओं का पता लगा सकते हैं जो रात को पेश करनी हैं।

रात के बारे में आपका जो भी दृष्टिकोण हो, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह दिन का एक विशेष समय है।

रात का पर्यायवाची : रात्रि, रैन, रजनी, निशा, यामिनी, तमी, निशि, यामा, विभावरी, निशि, विभावरी, तमा, तमस्विनी, त्रियामा, क्षणदा, शर्वरी, रजनी, क्षणदा, शर्वरी, राका, अमाँ, क्षपा, तमस्विनी, तमिस्रा, त्रियामा, दोषा, निशीथ, निशीथिनी, अमावस्या, कादंबरी.

रात शब्द से जुडे रोचक तथ्य

  • ‌‌‌सुबह सूर्योदय होता है जिसके कारण से पूरी पृथ्वी पर चमक आ जाती है और जब सूर्यास्त हो जाता है तो वही पृथ्वी अंधकार मे डूब जाती है । इस तरह से अंधकार के समय को रात कहा जाता है ।
  • ‌‌‌पृथ्वी सूर्य के चारो और चक्कर लगाने का काम करती है । इसके साथ ही पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई यह कार्य करती है । जिसके कारण से पृथ्वी का अलग अलग हिस्सा सूर्य के सामने आता रहता है । यही कारण है की रात बन जाती है । क्योकी जब सूर्य की और वाला हिस्सा पृथ्वी के घूमने के कारण से वह सूर्य की ‌‌‌और नही रहता है बल्की वह पिछे हो जाता है । जिसके कारण से सूर्य की रोशनी उस तक पहुंच नही पाती है और वहां अंधेरा छा जाता है । इस तरह से उस स्थान मे रात होती है ।
  • ‌‌‌दुनिया में कुछ ऐसे देश भी है जहां पर कुछ दिनो तक रात नही होती है । उन देशो मे से है – नॉर्वे, अलास्का, आइसलैंड, कनाडा ।
  • ‌‌‌क्या आपको पता है की The Night नाम की 2020 की एक film है जो की Iran और United States मे बनी गई है ।
  • क्या आपको पता है भारत में भी रात नामक एक फिल्म 1992 में बनी थी निर्देशक के रूप मे राम गोपाल वर्मा ने अपना कार्य किया है ।
  • ‌‌‌क्या आपको पता है की अमावस्या की रात को चाँद दिखाई नही देता है ।
  • क्या आपको पता है की पूर्णिमा की रात को चांद पूरा दिखाई देता है । और इसके बाद में चांद का आकार घटने लग जाता है ।

 

‌‌‌क्या रात होने को रोका जा सकता है?

 

दोस्तो इस प्रशन का उत्तर है की नही । क्योकी जब तक हमारी पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती रहेगी तब तक रात होती रहेगी और इस रात को रोका नही जा सकता है । क्योकी पृथ्वी के अलग अलग स्थानो पर रात दिन होता है । यानि एक स्थान पर रात है तो दूसरा ऐसा स्थान भी ‌‌‌होगा जहां पर दिन भी होगा । इस कारण से न तो रात को रोका जा सकता है और न ही दिन को रोका जा सकता है ।

 

रात काली क्यों होती है?

 

दोस्तो इसका एक सरल सा जबाब है की…………… सूर्य के प्रकाश के कारण से दिन होता है यानि उजाला होता है । और जब सूर्य नही होता है तो अंधकार हो जाता है । इस तरह से रात होती है ।

मगर वही एक बात चोकाने वाली है की जब ब्रहामण्ड मे इतने तारे है तो रात काली क्यो नजर आती है? उन तारो की रोशनी ‌‌‌से रात काली नही होनी चाहिए थी ?

बताया जाता है की जब तारो का प्रकश ब्रह्मांड मे फैलता हुआ पृथ्वी की तरफ आने लगता है तो उस प्रकाश को बिच मे ही रोक लिया जाता है । क्योकी ब्रह्मांड मे धूल के बादल बने हुए है जो की प्रकाश को नष्ट कर देते है ‌‌‌। हालाकी इस प्रकाश का कुछ भाग पृथ्वी तक पहुंच भी जाता है मगर पृथ्वी की दूरी अधिक होने के कारण से तारो का प्रकाश भी पहुंचने मे काफी समय लग जाता है ।

खगोलशास्त्री और विज्ञान के रूप मे बताया जाता है की तारो की रोशनी भी इतनी अधिक नही होती है की वह पृथ्वी और बाकी के ब्रह्मांड को रोशनी पहुंचा कर ‌‌‌रात को काली होने से रोक सके । इस तरह से प्रकाश की अनुपस्थिति के कारण से रात काली होती है।

और जब कभी पृथ्वी पर प्रकाश बन जाएगा तो रात काली नही होगी । जिस तरह से अगर रात को रोशनी कर दी जाए तो उस स्थान पर रात काली नजर नही आती है । उसी तरह से पृथ्वी पर रात को काली होने से रोकने के लिए एक और सूर्य ‌‌‌की जरूरत होती है जो की पृथ्वी की दूसरी दिशा मे लगा होगा । जिससे पृथ्वी पर पर रात नही होगी और दिन ही दिन होगा । मगर यह एक कलपना मात्र है क्योकी सूर्य जितनी रोशनी को बनाना एक कलपना है । ‌‌‌इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नही है ।

 

‌‌‌पूर्णिमा के दिन चमकिली रात

 

दोस्तो चांद का भी पृथ्वी की तरह चमकना जारी रहता है । और चांद मे स्वयं मे कोई चमक नही होती है बल्की वह सूर्य की रोशनी के कारण से चमकता है । मगर जब भी चांद पूरा चमकता है तो उस रात को पृथ्वी पर भी चमक हो जाती है । इसका कारण सूर्य से ही जुडा हुआ है ।

क्योकी ‌‌‌जब चांद पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए सूर्य और पृथ्वी के बिच मे आ जाता है तो सूर्य के तेज के कारण से चांद चमक जाता है । चांद इतना अधिक चमकिला बन जाता है की पृथ्वी पर जिस स्थान पर रात होती है वहां चांद की रोशनी फैल जाती है । और उस दिन पूर्णिमा की रात होती है । यही कारण होता है की पूर्णिमा ‌‌‌की रात को चमकिली रात होती है ।

 

‌‌‌रात को ही तारे क्यों नजर आते है

 

‌‌‌दोस्तो आपने गोर किया होगा की तारे रात को ही नजर आते है और दिन मे नजर नही आते है । आखिर दिन मे तारे कहा चले जाते है? इस प्रशन का उत्तर होता है की दिन मे तारे अपने ही स्थान पर रहते है मगर सूर्य का तेज इतना अधिक होता है की तारो की रोशनी फिकी पड जाती है और वे हमे दिखाई नही देते है । मगर ‌‌‌जैसे ही रात होती है तारे दिखने लग जाते है क्योकी उस समय सूर्य की रोशनी नही होती है । इस तरह से रात को तारे दिखाई देते है दिन में नही ।

 

रात में सूरज कहां जाता है

 

दोस्तो सूरज के कारण से रोशनी होती है मगर जैसे ही रात होती है ‌‌‌और सूरज एक स्थान पर स्थिर होता है मगर उसके चारो और पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुए चक्कर लगाती है । जिसके कारण से पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर 24 घंटो मे लगती है । और इसी चक्कर के कारण से रात बनती है ।

 जब रात होती है तो जिस ‌‌‌ओर पृथ्वी का हिस्सा सूर्य की ‌‌‌ओर था वह अब सूर्य की ‌‌‌ओर नही ‌‌‌रहता है बल्की पृथ्वी का दूसरा हिस्सा सूर्य की ‌‌‌ओर आ जाता है और पहले वाला हिस्सा छिप जाता है । जिसके कारण से रात हो जाती है । और सूर्य दिखाई नही देता है । जिससे देखने वालो को लगता है की सूरज रात को कही चला जाता है । क्योकी पृथ्वी घूमती है मगर हमे यह नजर नही आती है ।

 

‌‌‌रात में चांद क्यों चमकता है

 

दोस्तो जैसा की बताया की चंद्रमा सूर्य की रोशनी के कारण से ही चमकता है । मगर पृथ्वी के जीस स्थान पर अंधेरा होगा चंद्रमा उसी स्थान पर चमकता हुआ दिखाई देता है । क्योकी चंद्रमा की तुलना मे सूर्य का ‌‌‌प्रकाश काफी अधिक होता है जिसके कारण से चंद्रमा दिन के समय मे कम ‌‌‌दिखाई देता है ।

मगर जैसे ही अंधेरा होता है वह चमकता हुआ दिखाई देने लग जाता है । मगर रात को चंद्रमा के चमकने का भी अलग तरीका है । क्योकी वह निश्चित समय के अनुसारा घटता बढता रहता है । इसका कारण चंद्रमा पर सूर्य का प्रकाश होता है क्योकी जब सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर पडता है तो चंद्रमा की सतह ‌‌‌इतनी अधिक अधिक ‌‌‌गर्म हो जीती है की वह पूरा ही चमकने लग जाता है ।

मगर जैसे ही सूर्य से चंद्रमा दूर जाता है उसकी चंद्रमा की सतह ठंडी होने लगती है जिससे चंद्रमा घटता हुआ दिखाई देता है । और पास जाने पर बढता हुआ दिखाई देता है । क्योकी अंधेरे मे चंद्रमा का प्रभाव जम जाता है क्योकी उस समय पृथ्वी पर ‌‌‌सूर्य की रोशनी बहुत ही कम होती है । जिसके कारण से चंद्रमा केवल रात को ही चमकता हुआ दिखाई देता है ।

 

‌‌‌रात का भयानक रूप

 

‌‌‌दोस्तो रात मे सब और अंधेरा होता है और ऐसे समय मे जो भी कुछ हम पहले देख चुके है अगर उन्हे भी रात को देखा जाए तो वे सही तरह से नही दिखाई देते है । जिसके कारण से ऐसा लगता है की मानो समाने कोई खडा है । जैसे अगर आपने कभी रात को आक के पेड को देखा है तो वह देखने मे बडा भयानक लगता है।

क्योकी पता नही ‌‌‌चलता है की वहां पर आक का पेड है । इसी तरह से बहुत कुछ ऐसा है जो की रात के समय में अधिक सही तरह से नही दिखाई देता है । इसके अलावा अगर आपने कभी रात को काली बिल्ली देखी है तो वह देखने में डरावनी लगती है ।

क्योकी रात के समय में काली बिल्ली की आंखे चमकती है । जिससे देखने वाले को केवल चमकती हुई ‌‌‌आंखे ही दिखाई देती है । क्योकी अंधेरा होने से काली बिल्ली का काला रंग छिप जाता है । इस तरह से कह सकते है की रात बडी भयानक होती है और इस समय जाने पहचाने गए वस्तु और स्थान भी बडी अजीब सी लगती है और डरावनी भी होती है ।

‌‌‌राता का मनुष्य जीवन मे महत्व

 

‌‌‌दोस्तो रात का मनुष्य के लिए बडा महत्व होता है क्योकी जीस तरह से mobile phone को दिन भर चलाने के कारण से उसका चार्ज खत्म हो जाता है और फिर उसे चार्ज करना पडता है ।

ठिक उसी तरह से मनुष्य दिन भर काम करने के कारण से बहुत अधिक थक जाता है और फिर उसे चार्ज होने की जरूरत होती है जिसके लिए उसे ‌‌‌किसी चार्जर की जरूरत नही होती है बल्की उसे आराम करने की जरूरत होती है ।

क्योकी आराम करने के कारण से थकावट दूर होती है और मनुष्य फिर चार्ज हो जाता है । और यह भी है की रात को आराम किया गया दिन मे आराम करने से कही अधिक अच्छा रहता है ।

‌‌‌इसके अलावा अगर रात नही होती तो मनुष्य आराम करने के लिए एक निश्चित समय नही बना पाता और वह दिन रात काम करते रहने के कारण से अपनी उम्र घटा लेता था । ‌‌‌अंत मे कहा जा सकता है की रात न केवल मनुष्य के लिए बल्की सभी प्रकार के जीवन के लिए महत्वपूर्ण होती है ।

Final Word

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