पानी का पर्यायवाची शब्द

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पानी का पर्यायवाची शब्द

 

पानी का पर्यायवाची शब्द

 

  • मेघपुष्प
  • नीर
  • वारि
  • पय
  • अम्बु
  • तोय
  • जीवन
  • सांरग
  • आब
  • अमृत
  • धनरस
  • वन
  • सलिल
  • विंष
  • सर्वमुख
  • उदक
  • शम्बर।

 

जल का पर्यायवाची शब्द अंग्रेजी में

 

  • Water
  • Drink
  • Rain
  • H2O
  • Aqua.

पानी की परिभाषा – पानी एक प्रकार का यौगिक है जिसमें ना तो कोई रंग, स्वाद या गंध होता है जिस का उपयोग पीने, धोने आदि के लिए किया जाता है। पानी के बारे में कहा जाता है कि जल ही जीवन है, इसके बिना जीवन संभव नहीं है।

पानी के पर्यायवाची शब्द  और उनके अर्थ में थोड़ा अंतर हो सकता है। इसीलिए एक वाक्य में सभी पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग हो जाए, यह जरूरी नहीं है। स्थिति के आधार पर वाक्य में अलग-अलग पर्यायवाची का प्रयोग अलग-अलग स्थान पर किया जा सकता है।

नीचे हम उदाहरण के माध्यम से पानी के पर्यायवाची शब्द को और अधिक गहराई से जानने का प्रयास करेंगे।

  • जल – जो हम पीते हैं, पानी या मीठा पानी।
  • सलिल – नन्हें जीवों पर अपनी गुलेल का निशाना लगाकर सलिल को बड़ा मज़ा आता।
  • जीवन – आखिर एक दिन रग्घू का टिमटिमाता हुआ जीवन-दीपक बुझ गया।
  • अमृत– यह अमृत की बूंद है जो मरे हुए भावों को जिंदा कर देती है।
  • नीर – नीर में क्यों विष उड़ेला?

‌‌‌पानी के बारे मे रोचक तथ्य

 

पानी पृथ्वी पर तिन अवस्थाओ मे पाया जाता है – तरल, ठोस और गैस । 32 ° फ़ारेनहाइट पर पानी ठोस बनता है । पानी का उपयोग बहुत अधिक होता है । क्योकी पृथ्वी पर जीवन जीने वाले छोटे से लेकर बडे तक जीव को पानी (जल) की जरूरत होती है । इसके अलावा पैड पौधो को भी पानी (जल) की जरूरत होती है। ‌‌‌जिससे पानी के बारे मे कुछ महत्वपूर्ण बाते निचे दी गई है।

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 मार्च को पानी को विश्व जल दिवस के तोर पर घोषित किया था क्योकी मानव के जीवन मे पानी एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है ।
  • पृथ्वी पर पानी की मात्रा 332,500,000 घन मील है यानि पृथ्वी पर कुल 70 प्रतिशत पानी है । जिसका 1 प्रतिशत मानव के पीने योग्य है ।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका के आकडो से पता चला है की एक कार बनाने के लिए कुल 39,090 गैलन पानी का उपयोग किया जा सकता है
  • 55 से 65 प्रतिशत ‌‌‌मानव के शरीर मे पानी पाया जाता है और वही शिशुओ मे 78 प्रतिशत पानी पाया जाता है और बाकी 22 प्रतिशत शिशुओ मे अन्य आवश्यक प्रदार्थ मोजुद रहते है ।
  • ‌‌‌संयुक्त राज्य अमेरिका मे पानी का उपयोग समय के साथ बढता जा रहा है वही 2017 के आकडो से पता चला है की 375 बिलियन पानी का उपयोग प्रति दिन किया गया था ।
  • 1.8 बिलियन लोग दूषित पानी को साफ कर कर दुनिया भर मे पिते है ।
  • 97 प्रतिशत पानी पृथ्वी पर उपस्थित समुद्र मे रहता है जिसे खारे पानी के नाम से जाना जाता है । यह पानी मानव उपयोग मे नही आता है बल्की 2.5 ‌‌‌प्रतिशत पानी जो भुमी मे रहता है । जिसे कुवो और हेडपंप के माध्यम से निकाला जाता है यह पानी मानव के उपयोग मे आता है जिसे ‌‌‌पीने योग्य पानी कहते है । मगर समय के साथ पानी का उपयोग ज्यादा होने के कारण से पानी भुमी मे काफी निचे की ‌‌‌ओर जा रहा है । ‌‌‌अब जो 0.5 प्रतिशत पानी बच जाता है वह ताजा पानी होता है । इस पानी का उपयोग भी मानव कर लेता है । जो पानी समुद्र मे रहता है वह भाप के जरीय आकाश मे जाता है और वर्षा से वापस पृथ्वी पर आता है । अब यह पानी पीने योग्य बन जाता है ।
  • भारत मे उपयोग होने वाले शौचालय मे प्रत्यक दिन 200 गैलन पानी बर्बाद हो जाता है ।
  • अमेरिका मे निवास करने वाला व्यक्ति प्रतिदिन 100 गैलन पानी का उपयोग करता है । और वही यूरोप मे 50 गैलन पानी का उपयोग किया जाता है ।
  • अमेरिका मे स्नान के लिए पानी का उपयोग 30 गैलन तक होता है ‌‌‌और वही भारत मे स्नान के लिए पानी का उपयोग 70 गैलन होता है ।
  • कागज की शीट बनाने के लिए भी ‌‌‌पानी का उपयोग किया जाता है । प्रत्यक शीट मे 2.7 गैलन पानी का उपयोग हो जाता है । इस तरह से सो शीट के लिए 270 गैलन का उपयोग होता है ।
  • 7 न्यूट्रल पीएच वाला पानी पूरी तरह से शुद्ध होता है जिसे मानव अपने उपयोग मे ला सकता है ।

विश्व में पानी से जुडी घटनाएं

जल या पानी से जब तबाही मचती है तो बहुत कुछ नष्ट कर देती है । क्योकी पृथ्वी पर पानी की मात्रा बहुत अधिक है जो एक साथ बहने के कारण से तबाही का रूप ले लेती है । जल कभी वर्षा के रूप मे अधिक ‌‌‌पानी बरस जाता है ‌‌‌तो बाढ का रूप ले लेता है । क्योकी पानी की मात्रा अधिक हो जाने के कारण से वह उचाई से ‌‌‌निचे की तरफ बहने लगता है।

जिसके कारण से सामने आने वाले छोटे बडे सभी वस्तुओ को आसानी से नष्ट करता हुआ आगे बढता जाता है । इस तरह से लगातार वर्षा होने के कारण से तूफान का रूप भी बढ जाता है । जिससे कई ‌‌‌घर दहस जाते है जिसके साथ लोगो को भी जान का खतरे का समाना करना पडता है । इसी तरह की कुछ घटनाए ‌‌‌है –

  • ‌‌‌अमेरीका मे आय इरमा तूफान ने अमेरिका को बहुत बुरी तरह से नुकसान पहुचाया । इस तूफान को फिक्शनल कैरेक्टर नाम दिया गया ।
  • कनाडा मे 1978 मे आई सबसे बडी बाढ के कारण से कई लोगो की मोत हो गई । यह बाढ ग्लेशियर के कारण से आई थी ।
  • 1975 मे दुनिया का सबसे बडा तूफान जिम्बाब्वे मे आया था ।
  • ‌‌‌मिसौला फ्लड या स्वोकेन फ्लड के नाम से जानी जाने वाली अमेरिका की सबसे बडी बाढ के कारण से कई लोगो की जान गई । यह घटना 2003 कोलंबिया नदी मे घटी थी ।
  • ग्रेट भोला साइक्लोन – यह 1970 मे आया हुआ एक बहुत बडा तूफान है जिसने बांग्लादेश की लगभग 5.1 लाख लोगो की जान ले ली थी । बांग्लादेश के इस तूफान के कारण से ज्यादातर नुकसान गाव के लोगो और उनकी फसल को हुआ था ।
  • 2013 मे श्रीलंका मे भी एक तूफान अया था जिसे महासेन नाम दिया गया । इस तूफान ने श्रीलंका की जनता  ‌‌‌की शांति नष्ट कर दी और बहुत से लोगो को नुकसान पहुचाया ।
  • टॉर्नेडो- यह तूफान भी बांग्लादेश मे आया था । 1989 मे ‌‌‌आए इस तूफान की वजह से लगभग ‌‌‌1350 लोगो की जान चली गई और करीब 11 लाख लोगो को बडा नुकसान पहुंचा क्योकी इस तूफान के कारण से उनका घर उजड गया था । टॉर्नेडो तूफान बांग्लादेश के माणिकगंज जिले मे आया था ।
  • आइसलैंड के ग्रिम्सवॉन झील मे स्थित ज्वालामुखी 1996 मे फट गया । जिसके कारण से बर्फ से बना ग्लेशियर जिसे आज वात्नाजोकुल ग्लेशियर के नाम से जाना जाताहै । इसका एक कुछ हिस्सा खिसकने लगा था और खिसक कर ‌‌‌एक आपदा बन गया । यह हिस्सा एक नदी मे गिरा था जिसे आज स्कीयोआरा नदी के नाम से जाना जाता है । इस नदी मे ही इतनी तेज बाढ आई थी जिसके कारण से बहुत से लोगो की जान चली गई ।
  • ‌‌‌1985 मे ग्लेशियर टूटने के कारण से एक बहुत बडी घटना नेपाल मे भी घटी थी । क्योकी ग्लेशियर ने बाढ का रूप ले लिया और कई लोगो की मोत का कारण बन गया । नेपाल की यह घटना सबसे भयानक साबित हुई । इस बाढ के कारण से पेड पौधो को भी भारी मात्रा मे निकसान पहुंचा । साथ ही लोगो के घर पानी के साथ बह गए ।
  • मुरादाबाद मे 1888 मे  इतनी अधिक वर्षा हो गई की उसने तूफान का रूप ले लिया और 246 लोगो की मोत का कारण बन गया ।
  • मिस्र मे भी एक बहुत बडा तूफान आया था जिसके कारण से कुल 500 लोगो की जान चली गई । इसने बाढ का रूप ले लिया जिसके कारण से बहुत से लोगो के घर बह गए । यह तूफान 1994 मे आया था ।
  • 12 दिसंबर 2016 मे तमिलनाडु मे आया तूफान लोगो की मोत का कारण बन गया ।
  • 1927 के समय भारत के सिंधु नदी मे एक बाढ आई थी । यह बाढ भी ग्लेशियर टूटने के कारण से आई । इस घटना मे जो ग्लेशियर टूटा था वह चॉन्ग कुमदान ग्लेशियर था । इससे पाकिस्तान को भी नुकसान पहुंचा । इस बाढ के कारण से लोगो को बहुत नुकसान पहुंचा । बहुत से ‌‌‌लोगो की मोत भी हो गई । इस तरह की घटनाए हर वर्ष ‌‌‌भारत मे घटती रहती है । जिसके कारण से बहुत नुकसान उठाना पडता है ।
  • 7 फरवरी को उतराखंड मे ग्लेशियर टुट गया जिसके कारण से बहुत बडी बाढ का रूप ले लिया था ।
  • 13 दिसंबर 1941 को एक बार पेरू मे भी बहुत भयानक बाढ अई थी । जिसमे 2000 से 7050 लोगो की मोत हो गई थी । यह घटना पाल्काकोचा झील मे गिरे ग्लेशियर ‌‌‌के कारण से उत्पन्न हुई थी ।

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पानी की उत्पत्ति कैसे हुई

 

पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां पानी पाया जाता है । इसका कारण सुर्य का पृथ्वी से काफी दूर स्थित होना है । क्योकी सुर्य की पुरी गर्मी पृथ्वी पर नही पहुंच पाती और पानी नष्ट नही हो पाता है ।

  • माइक ड्रेक नामक एक अमेरिकी वेज्ञानिक है जिन्होने बताया की पृथ्वी के निमार्ण के समय ही पानी का जन्म हुआ था । पृथ्वी के निर्माण के लिए सौर मण्डलीय धूल कणो का विशेष योगदान रहा था । उस समय जो सौर मण्डलीय धूल कणों का उपयोग हुआ उन कणो मे ही पहले से ही पानी की मात्रा मोजुद थी । जो पृथ्वी के ‌‌‌निर्माण के बाद मे पृथ्वी पर पानी की उत्पत्तिका कारण बन गया ।
  • रिंगवूडाइट नामक एक चटान अमेरीका मे खोजी गई थी । इस रिंगवूडाइट चटान मे पानी का काफी अधिक भंडारण मोजुद पाया गया था । रिंगवूडाइट चटान मे पानी की मात्रा इतनी अधिक थी की पूरे तिन महासागर आसानी से भरे जा सकते है । इतना अधिक पानी होने के कारण से इन वेज्ञानिको ने पानी की उत्पत्ति यही से मानी । यह चटान अमेरिका महाद्वीप की सतह के निचे पाई गई थी ।
  • करोड़ों धूमकेतुओं तथा उल्का पिंडों के कारण – अनेक वेज्ञानिको  का मानना है की उल्का पिड और धूमकेतु मे पानी मोजुद होता है । और पृथ्वी के निर्माण के बाद मे उन करोड़ों धूमकेतुओं तथा उल्का पिंडों का जोडा बन गया । जिनकी वर्षा के ‌‌‌कारण से पृथ्वी पर पानी बरसना शुरू हो गया । इस तरह से पानी की उत्पत्ति पृथ्वी पर हो गई ।
  • वैज्ञानिको के अध्ययन से पता चलता है की पृथ्वी पर  पानी उन चट्टानों से उत्पन्न हुआ था जिनसे पृथ्वी का निर्माण हुआ है। साथ ही कुछ वैज्ञानिको का मानना है की पृथ्वी पर पानी  दुर्लभ उल्कापिंडों के कारण से आया था । ‌‌‌साथ ही यह भी माना जाता है की बर्फीले धूमकेतु के कारण से पृथ्वी पर पानी ‌‌‌आया होगा । इसकी उत्पत्ति की अवधारण जो वैज्ञानिक बताते है वह है
  • खगोल-भौतिकी वेज्ञानिको के नए सोध के अनुसार बताया जाता है की पृथ्वी पर पानी धुमकेतु और उल्कापिंडों के कारण आया होगा । मगर इन धुमकेतु और उल्कापिंडों से पानी की मात्रा इतनी अधिक नही थी । वह केवल पृथ्वी ‌‌‌के कुछ हिस्सो पर नमी ही बना सकती थी । इसके बाद मे जबकी ये धुमकेतु सौरमण्डल के बाह्य किनारों से काफी दुरीपर स्थित है और पानी इन धुमकेतु के कारण उत्पन्न नही हुआ था तो सौरमण्डल के बाह्य किनारों से पानी की उत्पत्ति का कारण इन वेज्ञानिको ने माना ।‌‌‌ साथ ही यह भी बताया गया की पानी पृथ्वी पर 400 करोड वर्ष पहले ही आ गया था ।

Final Word

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