आग का पर्यायवाची शब्द

आग का पर्यायवाची शब्द

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आग का पर्यायवाची शब्द

 

आग का पर्यायवाची शब्द

 

  • अग्नि
  • धन्नजय
  • हुताशन
  • जातदेव
  • वैश्वानर
  • ज्वाला
  • वायुसख
  • दहन
  • ज्वलन
  • कृषानु
  • रोहिताश्व
  • वहिन
  • अनल
  • पावक
  • दव
  • धूम्रकेतु
  • कृशानु
  • शुचि.

आग का पर्यायवाची शब्द अंग्रेजी में

  • अग्नि – fire
  • धन्नजय – fire
  • हुताशन – fire
  • ज्वाला – flame
  • दहन – burning
  • ज्वलन – flaming
  • आग – conflagration /fire
  • अनल – a kind of reed
  • पावक – fire / a saint
  • धूम्रकेतु – Comet
  • कृशानु – fire

आग के पर्यायवाची शब्द पढ़ने और सुनने में भले ही एक जैसे लगें किन्तु उनके अर्थ में थोड़ा अंतर हो सकता है। इसीलिए एक वाक्य में सभी पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग हो जाए, यह जरूरी नहीं है। स्थिति के आधार पर वाक्य में अलग अलग पर्यायवाची का प्रयोग अलग अलग स्थान पर किया जा सकता है।

उदाहरण के माध्यम से हम इसे और अधिक समझने का प्रयास करेंगे।

आग शब्द के वाक्य प्रयोग द्वारा पर्यायवाची शब्दों के अंतर को समझना

अग्नि – वर वधु अग्नि के समक्ष सात फेरे लेंगे।
पावक – जून के महीने में बहती हवाएं देख कर लगता है मानो हवा नही पावक का झोका बह रहा हो।
अनल – वन में अनल का प्रकोप ऐसे छाया की सब कुछ राख हो गया।

‌‌‌आग के रोचक तथ्य

  • आग लेने के लिए तीन घटको की जरूत होती है जो है गर्मी, ऑक्सीजन और ईंधन । अगर इनमे से कोई एक भी घटक किसी प्रदार्थ मे नही पाया जाता है तो उस प्रदार्थ को आग नही लग सकती है । अगर एक बार आग लग भी जाती है तो इनमे से एक घटक को नष्ट कर देने पर आग अपने आप भुझ जाती है  । आग को ‌‌‌बुजाना  के ‌‌‌लिए ऐस प्रदार्थो का उपयोग करते है जो ऑक्सीजन या बाकी दो घटको को नष्ट करने का काम करे । जेसे गंदगी , रेत और बडा सुतु कपडा आग के चारो और लपेट कर आग को सांत किया जा कसता है ।
  • ‌‌‌सयुक्त राज्य अमेरीका मे आग से हर वर्ष मरने वाले लोगो की सख्या लगभग 4,000 तक पहुंच जाती है इसके अलावा 20 हजार व्यक्ति घायल भी हो जाती है । इसका कारण आग के बारे मे सही तरह से न जानकारी का होना है ।
  • ‌‌‌धुआ भी आग के कारण से पैदा होता है जिसके कारण से लोग सही तरह से सांस नही ले पाते है और घुट घुट कर मर जाते है ।
  • अमेरिका मे आग बहुत ही घातक साबित हुई जो आग 1865 मे लगी थी । इसके अलावा अमेरिका के बॉयलर मे जब विस्फोट हुआ तो अमेरीका मे लगभग 1600 लोगो की मृत्यु हो गई थी ।
  • हिटिंग के कारण से भी आग पैदा हो सकती है अमेरीका और बडे देशो मे बिजली का उपयोग काफी अधिक किया जाता है और बिजलीसे चलने वाली मसीनो का उपयोग काफी ज्यादा किया जाता है जिसके कारण से हिटिंग पैदा हो जाती है और मसिने फट जाती है व आग पेदा हो जाती है । जिसके कारण से अनेक लोगो की मोत भी होती ‌‌‌है । भारत मे भी हिटिंग से मरने वाले लोगो की सख्या ज्यादा नही है क्योकी यहां पर ज्यादा मसीनो का उपयोग नही करते है फिर भी लगभग 1000 लो तो प्रति वर्ष मर ही जाते है ।
  • ‌‌‌‌‌‌1666 मे लंदन मे भी एक बहुत बडा फायर हुआ था । जिसके कारण से लंदन मे रह रही प्रजा को बहुत बडा नुकसान पहुचा । 1666 मे इस फायर के कारण से केवल 20 प्रतिशत ही शरह बच सका बाकी सब नष्ट हो यगा था । यह लंदन का बससे बडा फायर साबित हुआ । इस फायर मे लगभग 70000 लोगो की मृत्यु हो गई थी और कई लोग घायल हो चकु ‌‌‌थे ।
  • रसोई मे भी आग लगने के कारण से बहुत लोगो को मृत्यु व बहुत से लोग घायल हो जाते है । क्योकी वर्तमान मे लोग गैस का उपयोग करने लगते है और लापरवाही के कारण से गैस सलेण्डर फट जाता है और पूरे परिवार को नष्ट कर देता है । इसके अलावा रसोई मे आग तेल के कारणसे सभी लगती है जिससे अनेक लोगो की मोत हो जाती‌‌‌है ।
  • 1987 मे लगी चिन मे आग जिसे ब्लैक ड्रैगन फार के नाम से जाना जाता है दुनिया की सबसे बडी आग मानी जाती है । यह आग चिन और सोवियत संघ के ‌‌‌जंगलो मे लगी थी । 19 मिलियन एकड़ जमीन को ब्लैक ड्रैगन फायर मे जल गई थी ।
  • मोमबत्ती का उपयोग ज्यादातर भारत के उन इलाको मे किया जाता है जहां पर लाईट की सुविधा नही होती है । मोमबत्ती मोम की बनी होती है जिसके कारण से मोम पर आग लग जाती है और इधर उधर गिरने के कारण से सारे घर को तबाह कर सकती है ।
  • ‌‌‌पृथ्वी पर ऑक्सीजन की अधिकता होने के कारणसे सबसे अधिक आग पृथ्वी पर ही लगती है । जहां शुद्ध ऑक्सीजन होती है वहां पर आग लगने का बससे अधिक खतरा रहता है ।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका मे एक और घातक विस्फोट हो गया था ‌‌‌जिसमे 1350 के लगभग लोगो की जान चली गई और 2000 लोग घायल हो गए थे । इस विस्फोट को पेश्टिगो फायार के नाम से जाना जाता है ।

आग लगने पर आग पर कैसे नियत्रण पाया जा सकता है

 

आग बुझाने के लिए आग मे पाए जाने वोली ऑक्सीजन या दूसरे घटको को पूरी तरह से नष्ट करना पडता है । अगर इनमे से कोई एक भी पूरी तरह से नष्ट हो जाता है तो आग आसानी से बुझ जाती है । इन तिनो घटाको को नष्ट कर कर जिन तरीको से आग बुझाई जाती है वे निचे है –

  • आग बुझाने का सबसे आसान और पुराना तरीका पानी ‌‌‌क्योकी आग मे पानी डालने पर आग की गर्मी कम हो जाती है और इसके अलावा ऑक्सीजन की कमी आने लगती है । क्योकी पानी मे ऑक्सीजन कम होती है । जिसके कारण से आग पर आसानी से काबू पाया जा सकता है । इसका उपयोग करने के लिए आस पास पाए जाने वाले कुवो और हेंडपप से पानी का उपयोग कर सकते है ।
  • ‌‌‌आग मे बालू मिट्टी या गंदी मिट्टी डाल कर भी काबू पाया जाता है । क्योकी इस तरह की मिट्टी डालने पर आग मे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिसके कारण से आग बुझ जाती है । इस तरह की मिट्टी से आग बुझाने के लिए मिट्टी को किसी बर्तन मे डाल कर आग पर डाला जाता है । जिससे आग आसानी से बुझ जाती है ।
  • ‌‌‌वर्तमान मे आग को बुझाने के लिए वेज्ञानिकत विधी का उपयोग किया जाता है । इस विधी मे आग को बुझाने के लिए सोडियम कारबोनेट का उपयोग किया जाता है । सोडियम कारबोनेट का घोल बना कर एक लोहे के बतरन मे डाला जाता है और आग लगने पर इसका उपयोग किया जाता है। यह आजकल संभावित आग लगने वाले क्षेत्रो‌‌‌मे आसानी से देखने को मिल जाता है । इस बरतन को विशेष प्रकार से बनाया गया है यानि इस बरतन मे एक खूंटी होती है जिसे दबाने पर बरतन मे सोडियम कारबोनेट के साथ एक अम्ल मिल जाता है जिसके कारण से कार्बनडाइऑक्साईड गैस उत्पन्न हो जाती है जो ऑक्सीजन की कमी उत्पन्न करती है । जिसके कारण से आग ‌‌‌नष्ट हो जाता है । यह विधी बहुत ही उपयोग मे ली जाती है । इस विधी का उपयोग पैंट्रोल पंपो से लेकर हॉस्पीटल और मंत्री तक करते है । अग्निदल भी इसी का उपयोग कर कर आग बुझाते है ।
  • ‌‌‌लकडी कोयला , कपडे मे जब आग लग जाती है तो इसे बुझाने के लिए पानी का उपयोग करना चाहिए क्योकी पानी लकडी और कोयले को गिला कर देती है जिसके कारण से गर्मी कम हो जाती है और आग बुझ जाती है ।
  • एलपीजी के कारण से जब आग उत्पन्न हो जाती है तो उस आग को बुझाने के लिए गैस या पाउडर का उपयोग किया जाता है ‌‌‌ताकी वहां पर ऑक्सीजन की कम उत्पन्न कर सके ।
  • अगर किसी ईंधन के कारण से आग के फैलने का खतरा है तो उस ईंध को सावधानी से हटा कर आग तेज होने से बचाया जा सकता है । और फिर उस ईंधन पर पानी डाल कर आग बुझा देनी चाहिए । ताकी आग आगे न बढ पाए ।
  • घरो मे उपयोग होने वाले गैंस सलेंण्डर मे जब आग लग जाती है ‌‌‌तो उस आग को बुझाने के लिए किसी कम्बल का उपयोग रना चाहिए । ताकी कम्बल की ऑट मे ऑक्सीजन की कमी हो जाए और आग आसानी से बुझ जाए । साथ ही जिस स्थान पर आग लगी हो उस को पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए इस तरह से भी ऑक्सीजन की कमी उत्पन्न की जा सकती है ।
  • ‌‌‌जिस स्थान पर सलेंण्डर हो उस स्थान पर अग्नि उपयोग नही करना चाहिए ।
  • पैंट्रोल पंप के आस पास अग्नि और बीडी जैसे प्रदार्थो का उपयोग करने से बचना चाहिए ताकी आग न लगे ।

आग की उपत्ति कैसे हुई थी

 

‌‌‌प्रथम विधी – ऐसा माना जाता है की जब आदिमान का जमाना था उस समय आदिमानव अपना पेट भरने के लिए कच्चे मास को ही खाते थे । धिरे धिरे आदि मानव का समय बितता गया और किसी कारण वस दो पत्थरो के टकराने के कारण से आग की एक छोटी सी चिंगारी निकलते हुए आदिमानवो ने देखा । यह देख कर ‌‌‌आदिमानव कुछ समझ नही सके और फिर से यही क्रिया दोहराने लगे ।

जिसके कारण से फिर जब आग की चिंगारी निकली तो आदिमानव उसे देखने लगे । मगर इसी तरह से बार बार क्रिया करने के कारण से एक बार आस पास पडे घास फुस मे आग लग गई होगी । जिसके कारण से आदिमानव को जलन महसुस हुई होगी । वही से आग का जन्म हुआ ‌‌‌माना जाता है ।

जिसके बाद मे आदिमानव ने अग्नि का उपयोग शुरू कर दिया और पक्के भोजन को खाना शुरू किया । जिसके कारण से उन्हे भोजन मे एक अलग ही स्वाद आया । यह देख कर आदीमानव ने आग का उपयोग लेना शुरू कर दिया । इस तरह से अग्नि या आग की उत्पत्ति हुई मानी जाती है । ‌‌‌यह क्रिया घर्षण विधी के द्वारा हुई थी । यानि आग को उत्पन्न करने के लिए दो पत्थरो को रगडा जाता था ।

बार बार जब पत्थरो को रगडा गया तो उनमे एक गर्मी होने लगी जिसके कारण से आग की चिंगारी निकल गई । इसी तरह का उपयोग कर कर आग को उत्पन्न किया जाने लगा । इसके अलावा आग को उत्पन्न करने के ‌‌‌लिए प्राचिन समय के एक छोटे पत्थर को बडे पत्थर पर फेका गया होगा जिसके कारण से चिंगारी निकली और आस पास आग लग गई । इस तरह से भी आग का उत्पन्न होना माना जाता है ।

 

दूसरी विधी   – इस विधी के एक विशाल और भयानक भैंस हुआ करती थी । जो आस पास के पेड पोधो से लेकर जो भी प्राणि था उन सभी को नष्ट कर दिया करती थी । जिससे कभी कभी भैंस दौड़ने लगती थी और इसी तरह से एक बार हुआ उस समय भैंस क्रोधित होकर दोड़ रही थी ।

क्योकी भैंस काफि विशाल थी तो वह आस पास पडे पहाडो के ‌‌‌बडे बडे पत्थरो पर कुद कुद कर दोड रही थी । जिसके कारण से पत्थरो मे उष्मा उत्पन्न हो गई और चिंगारीया निकलने लगी जिससे आस पास का स्थान जलने लगा था । इसके अनुसार भी आग का उत्पन्न होना माना जाता है ।

 

‌‌‌तीसरी विधी‌‌ – इस विधी ‌‌‌का उपयोग प्राचिन समय मे आग को उत्पन्न करने के लिए किया गया था । इस विधी मे एक ‌‌‌यंत्र का उपयोग होता है जिसे अरणी के नाम से जाना जाता है । यह विधी भारत मे भी प्रचलीत थी । इस विधी मे दो वस्तुओ का उपयोग होता है वे है तख्ते जो लकडी का बना होता है मगर इस तख्ते मे एक छिछला छेद पाया जाता है । जिसमे लकडी का एक टकडा नचाया जाता है । इस विधीसे भी अग्नि उत्पन्न की गई थी ।

‌‌‌चौथी विधी – इस विधी के अनुसार एक भयंकर सर्पाकार राक्षसी हुआ करती थी । जो बहुत ही भयंकर और ताक्तवर थी । इस राक्षसी से हर कोई डरता था । मगर हुसेन ने इस राक्षसी का सामना कर कर इसे मारने की ठान ली थी । जिसके कारण से हुसेन ने राक्षसी से युद्ध किया और युद्ध के दोरान हुसेन ने एक बडे पत्थर को उठा ‌‌‌लिया इस पत्थर से राक्षसी को मारने के लिए जैसे ही हुसेन ने फैका तो राक्षसी वहां से अलग हो गई ।

जिससे पत्थर राक्षसी का कुछनही बिगाउ सका मगर यह पत्थर पास एक पहाड था उससे जाकर टकरा गया । पत्थर के पहाड से टकराने के कारण से पत्थर तो नष्ट हो गया मगर इस बिच बहुत अधिक चिगारी उत्पन्न हो गई । ‌‌‌जिसके कारण से आस पास का जंगल जलने लगा । इस तरह से माना जाता है की उस समय अग्नि सबसे पहले उत्पन्न हुई थी । यह घटना शाहनामा मे बताई गई है जो एक फारस के प्रसिद्ध ग्रंथ है ।

Final Word

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